سیدنا عبداللہ بن مسعود رضی اللہ عنہما کہتے ہیں کہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: حسد (رشک) جائز نہیں مگر دو شخصوں (کی عادتوں) پر۔ (1) اس شخص (کی عادت) پر جس کو اللہ نے مال دیا ہو اور اس بات کی توفیق و ہمت بھی کہ اسے (راہ) حق میں صرف کرے (2) اس شخص (کی عادت) پر جس کو اللہ نے علم و حکمت عنایت کی ہو اور اس کے ذریعہ سے فیصلے (اور عمل) کرتا ہو اور (لوگوں) کو اس کی تعلیم کرتا ہو۔
हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ि अल्लाहु अन्हुमा कहते हैं कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “हसद जायज़ नहीं मगर दो व्यक्तियों (की आदतों) पर (1) उस व्यक्ति (की आदत) पर जिसको अल्लाह ने माल दिया हो और इस बात की तौफ़ीक़ और हिम्मत भी कि उसे सीधे रस्ते में खपादे (2) उस व्यक्ति (की आदत) पर जिसको अल्लाह ने ज्ञान और हिकमत दी हो और उसके माध्यम से फ़ैसले (और काम) करता हो और (लोगों) को सिखाता हो।”