سیدنا عبادہ بن صامت رضی اللہ عنہ کہتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم (ایک مرتبہ لوگوں کو) شب قدر بتانے کے لیے نکلے مگر (اتفاق سے اس وقت) دو مسلمان باہم لڑ رہے تھے تو آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: (اس وقت) میں اس لیے نکلا تھا کہ تمہیں (معین) شب قدر بتا دوں مگر (چونکہ) فلاں اور فلاں باہم لڑے اس لیے (اس کی قطعی خبر دنیا سے) اٹھا لی گئی اور شاید یہی تمہارے حق میں مفید ہو (اب) تم شب قدر کو رمضان کی ستائیسویں اور انتیسویں اور پچیسویں (تاریخوں) میں تلاش کرو۔
हज़रत उबादह बिन सामित रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (एक दफ़ा लोगों को) लैलतुल-क़द्र की रात बताने के लिए निकले मगर (उस समय) दो मुसलमान आपस में लड़ रहे थे तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! (उस समय) मैं इसलिए निकला था कि तुम्हें लैलतुल-क़द्र (की रात) बतादूँ मगर फ़लां और फ़लां आपस में लड़े इसलिए (उसकी जानकारी संसार से) उठाली गई और शायद यही तुम्हारे हक़ में लाभदायक हो (अब) तुम लैलतुल-क़द्र को रमज़ान की सत्ताईसवीं और उनत्तीसवीं और पच्चीसवीं (रातों) में ढूंडा करो।