سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”اگر لوگ جان لیں کہ اذان میں اور پہلی صف میں کیا (ثواب) ہے پھر قرعہ ڈالنے کے بغیر اسے نہ پائیں تو ضرور قرعہ ڈالیں اور اگر جان لیں کہ اول وقت نماز ظہر پڑھنے میں کیا (ثواب) ہے تو بیشک سبقت کریں اور اگر جان لیں کہ عشاء اور صبح کی نماز (باجماعت ادا کرنے) میں کیا (ثواب) ہے تو ضرور ان دونوں کی (جماعت) میں آئیں اگرچہ گھٹنوں کے بل چل کر آنا پڑے۔
हज़रत अबु हुरैरा रज़ि अल्लाहु अन्ह से रिवायत है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “यदि लोग जानलें कि अज़ान में और पहली सफ़ में क्या (सवाब) है फिर क़ुरआ डाले बिना उसे न पाएं तो ज़रूर क़ुरआ डालें और यदि जानलें कि ज़ोहर की नमाज़ पहले समय में पढ़ने में क्या (सवाब) है तो बेशक आगे बढ़ जाएं और यदि जानलें कि इशा और सुब्ह की नमाज़ (जमाअत के साथ पढ़ने) में क्या (सवाब) है तो ज़रूर इन दोनों की (जमाअत) में आएं चाहे घुटनों के बल चलकर आना पड़े।”