سیدنا انس بن مالک رضی اللہ عنہ کہتے ہیں کہ ہم عصر کی نماز پڑھ چکے ہوتے تھے، اس کے بعد کوئی آدمی بنی عمرو بن عوف (کے قبیلے) تک جاتا تو انھیں نماز عصر پڑھتے ہوئے پاتا۔
हज़रत अनस बिन मलिक रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि हम अस्र की नमाज़ पढ़ चुके होते थे, इसके बाद कोई आदमी बनि अमरो बिन औफ़ (के क़बीले) तक जाता तो उन्हें अस्र की नमाज़ पढ़ते हुए पाता।