ام المؤمنین عائشہ صدیقہ رضی اللہ عنہا کہتی ہیں کہ(غزوہ) خندق کے دن سیدنا سعد رضی اللہ عنہ کو ہفت اندام (ایک رگ کا نام ہے) میں زخم لگ گیا تو نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے ایک خیمہ مسجد میں نصب کیا تاکہ قریب سے ان کی عیادت کریں۔ پس یکایک اس حال میں کہ مسجد میں بنی غفار کا (بھی) خیمہ تھا ان کی طرف خون بہہ کر آنے لگا تو ان لوگوں نے کہا کہ اے خیمہ والو! یہ کیا ہے؟ جو تمہاری طرف سے ہمارے پاس آتا ہے؟ تو (کیا دیکھتے ہیں کہ) سیدنا سعد رضی اللہ عنہ کے زخم سے خون بہہ رہا ہے پس وہ اسی سے شہید ہو گئے۔
उम्मुल मोमिनीन हज़रत आयशा सिद्दीक़ा रज़ि अल्लाहु अन्हा कहती हैं कि ग़ज़्वह ख़ंदक़ के दिन हज़रत सअद रज़ि अल्लाहु अन्ह को हफ़्त-अंदाम (एक रग का नाम है) में घाव लग गया तो नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने एक तम्बू मस्जिद में लगाया ताकि क़रीब से उनकी देख-रेख करें। जबकि मस्जिद में बनि ग़िफ़ार का (भी) तम्बू था बस अचानक उनकी ओर ख़ून बहकर आने लगा तो उन लोगों ने कहा कि ऐ तम्बू वालो, यह क्या है ? जो तुम्हारी ओर से हमारे पास आता है ? तो (क्या देखते हैं कि) हज़रत सअद रज़ि अल्लाहु अन्ह के घाव से ख़ून बह रहा है बस वह उसी से शहीद होगए।