سیدنا ابن عباس رضی اللہ عنہما کہتے ہیں کہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”(ایک مرتبہ) مجھے دوزخ دکھلائی گئی تو اس میں میں نے زیادہ تر عورتوں کو پایا۔ وجہ یہ ہے کہ وہ کفر کرتی ہیں“۔ عرض کیا گیا کہ کیا اللہ تعالیٰ کا کفر کرتی ہیں؟ تو آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”شوہر کا کفر و ناشکری کرتی ہیں اور احسان نہیں مانتیں۔ (وہ یوں کہ) اگر تو کسی عورت کے ساتھ عرصہ دراز تک احسان کرتا رہے اور اس کے بعد کوئی (ناگوار) بات تجھ سے وہ دیکھ لے تو (فوراً) کہہ دے گی کہ میں نے تو کبھی تجھ سے آرام (سکھ چین) نہیں پایا“۔
हज़रत इब्न अब्बास रज़ि अल्लाहु अन्हुमा कहते हैं कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “(एक दफ़ा) मुझे जहन्नम दिखाई गई तो उस में मैं ने अधिकतर औरतों को पाया। कारण यह है कि वो कुफ़्र करती हैं।” कहा गया कि क्या अल्लाह तआला का कुफ़्र करती हैं ? तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “पति का कुफ़्र और नाशुक्री करती हैं और अहसान नहीं मानतीं। (वह यूँ कि) यदि तू किसी औरत के साथ एक लम्बे समय तक अहसान करता रहे और उसके बाद तेरी कोई (नागवार) बात वह देखले तो (तुरंत ही) कह देगी कि मैं ने तो कभी तुझ से कोई सुखचेन नहीं पाया।”