سیدہ ام عطیہ رضی اللہ عنہا کہتی ہیں کہ میں نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم سے سنا، آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”جوان عورتیں اور پردہ نشین اور حائضہ عورتیں باہر نکلیں اور (مجالس) خیر میں اور مسلمانوں کی دعا میں حاضر ہوں اور حائضہ عورتیں نماز کی جگہ سے علیحدہ رہیں۔“ پوچھا گیا کیا حائضہ عورتیں (بھی شریک ہوں)؟ تو سیدہ ام عطیہ بولیں کیا حائضہ عورتیں عرفہ میں فلاں فلاں کام میں حاضر نہیں ہوتیں؟
हज़रत उम्म अत्या रज़ि अल्लाहु अन्हा कहती हैं कि मैं ने रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सुना कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “जवान महिलाएं और पर्दे में बैठने वाली और माहवारी वाली महिलाएं बाहर निकलें और भलाई में और मुसलमानों की दुआ में मौजूद हों और माहवारी वाली महिलाएं नमाज़ की जगह से अलग रहें।” पूछा गया क्या माहवारी वाली महिलाएं (भी शामिल हों) ? तो हज़रत उम्म अत्या बोलीं क्या माहवारी वाली महिलाएं अरफ़ा में फ़लां फ़लां काम में मौजूद नहीं होतीं ?