ام المؤمنین عائشہ صدیقہ رضی اللہ عنہا سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا ہے: ”جب تم میں کوئی شخص اونگھنے لگے اور وہ نماز پڑھ رہا ہو تو اسے چاہیے کہ (نماز توڑ کر) سو جائے، یہاں تک کہ اس کی نیند جاتی رہے۔ اس لیے کہ جب تم میں سے کوئی نیند کی حالت میں نماز پڑھے گا تو وہ کچھ نہیں جانتا شاید استغفار کرتا ہو اور وہ (انجانے میں) اپنے نفس کو بددعا دے ڈالے۔“
उम्मुल मोमिनीन आयशा सिद्दीक़ा रज़ि अल्लाहु अन्हा से रिवायत है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “जब तुम में से कोई व्यक्ति ऊंघने लगे और वह नमाज़ पढ़ रहा हो तो उसे चाहिए कि (नमाज़ तोड़कर) सोजाए, यहाँ तक कि उसकी नींद जाती रहे। इसलिए कि जब तुम में से कोई नींद की हालत में नमाज़ पढ़ेगा तो वह कुछ नहीं जानता कि शायद वह अस्तग़फ़ार करे या (अनजाने में) अपने आप को बद-दुआ देडाले।”