- (إنها لايرمى بها لموت احد ولا لحياته؛ ولكن ربنا تبارك وتعالى اسمه إذا قضى امرا؛ سبح حملت العرش، ثم سبح اهل السماء الذين يلونهم،. حتى يبلغ التسبيح اهل هذه السماء الدنيا، ثم قال الذين يلون حملة العرش لحملة العرش: ماذا قال ربكم؟ فيخبرونهم ماذا قال، قال: فيستخبر بعض اهل السماوات بعضا، حتى يبلغ الخبر هذه السماء الد نيا، فتخطف الجن السمع، فيقذفون إلى اوليائهم، ويرمون به، فما جاؤوا به على وجهه؛ فهو حق، ولكنهم يقرفون فيه ويزيدون).- (إنّها لايُرمى بها لموت أحدٍ ولا لحياته؛ ولكن ربّنا تبارك وتعالى اسمه إذا قضى أمراً؛ سبّح حملت العرش، ثم سبّح أهل السماء الذين يلونهم،. حتى يبلغ التسبيح أهل هذه السماء الدنيا، ثم قال الذين يلون حملة العرش لحملة العرش: ماذا قال ربكم؟ فيخبرونهم ماذا قال، قال: فيستخبر بعض أهل السماوات بعضاً، حتى يبلغ الخبر هذه السماء الد نيا، فتخطف الجن السمع، فيقذفونّ إلى أوليائهم، ويرمون به، فما جاؤوا به على وجهه؛ فهو حق، ولكنّهم يقرفون فيه ويزيدون).
علی بن حسین سے روایت ہے کہ سیدنا عبداللہ بن عباس رضی اللہ عنہما کہتے ہیں: مجھے ایک انصار صحابی نے بیان کیا کہ وہ ایک رات کو رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے ساتھ بیٹھا ہوا تھا، ایک سیارہ ٹوٹ کر گر پڑا اور اس کی وجہ سے روشنی پھیل گئی۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے ان سے پوچھا: ”تم جاہلیت میں اس قسم کے سیارے کے بارے میں کیا کہتے تھے؟“ انہوں نے کہا: (حقیقی صورت حال تو) اللہ اور اس کا رسول ہی بہتر جانتے ہیں۔ ہم یوں کہا کرتے تھے: آج رات کوئی عظیم آدمی پیدا ہوا ہے یا فوت ہوا ہے۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”کسی کی موت و حیات کی وجہ سے سیارے نہیں ٹوٹتے۔ (درحقیقت) جب اللہ تبارک و تعالیٰ کوئی فیصلہ کرتے ہیں تو حاملین عرش اس کی تسبیح بیان کرتے ہیں، پھر اس سے نچلے والے آسمان کے فرشتے اللہ کی تسبیح شروع کرتے ہیں، حتیٰ کہ آسمان دنیا والے فرشتے بھی تسبیح میں مصروف ہو جاتے ہیں پھر (ساتویں) آسمان والے فرشتے حاملین عرش سے پوچھتے ہیں: تمہارے رب نے کیا کہا؟ وہ انہیں جواب دیتے ہیں کہ یہ کچھ کہا، اسی طرح ایک آسمان والے دوسرے سے پوچھتے ہیں اور بات چلتے چلتے آسمان دنیا تک پہنچ جاتی ہے، (جب آسمان دنیا پر اللہ تعالیٰ کے فیصلے کی بات ہوتی ہے تو اس کے نیچے تک پہنچ جانے والے) جن بات اچک کر اپنے (شیطانی) اولیا تک پہچانے کی کوشش کرتے ہیں، (ان کو جلانے کے لیے) ان پر سیارے گرائے جاتے ہیں۔ (بسا اوقات جل جاتے ہیں اور بعض اوقات نکل آتے ہیں) وہ جو کچھ وہاں سے سن کر آتے ہیں وہ تو حق ہوتا ہے لیکن اس کے ساتھ کئی جھوٹ گھڑتے ہیں اور اپنی طرف سے اضافے کرتے ہیں۔“
अली बिन हुसैन से रिवायत है कि हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ि अल्लाहु अन्हुमा कहते हैं कि मुझे एक अन्सारी सहाबी ने बताया कि वह एक रात को रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ बेठा हुआ था, एक तारा टूट कर गिर पड़ा और उसके कारण रौशनी फैल गई रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उनसे पूछा ! “तुम जाहिलियत में इस तरह के तारों के बारे में क्या कहते थे ?” उन्हों ने कहा कि (सच्ची बात तो) अल्लाह और उसका रसूल ही अच्छा जानते हैं। हम यूँ कहा करते थे कि आज रात कोई महान आदमी पैदा हुआ है या मरा है। रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “किसी की मौत और जीवन के कारण तारे नहीं टूटा करते हैं। जब अल्लाह तआला कोई फ़ैसला करता है तो अर्श के फ़रिश्ते उसकी तसबीह पढ़ते हैं, फिर इस से निचले वाले आसमान के फ़रिश्ते अल्लाह की तसबीह शुरू करते हैं, यहां तक कि दुनिया के आसमान वाले फ़रिश्ते भी तसबीह पढ़ने लगते हैं फिर (सातवें) आसमान वाले फ़रिश्ते अर्श के फरिश्तों से पूछते हैं कि तुम्हारे रब्ब ने क्या कहा ? वे उन्हें जवाब देते हैं कि ये कुछ कहा, इसी तरह एक आसमान वाले दूसरे से पछते हैं और बात चलते चलते दुनिया के आसमान तक पहुंच जाती है, (जब दुनिया के आसमान पर अल्लाह तआला के फ़ैसले की बात होती है तो इसके नीचे तक पहुंच जाने वाले) जिन्न बात उचक कर अपने (शैतानी) दोस्त तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं, (इनको जलाने के लिए) उन पर तारे गिराए जाते हैं। (वे कभी जल जाते हैं और कभी निकल आते हैं) वे जो कुछ वहां से सुनकर आते हैं वह तो सच होता है लेकिन इसके साथ कई झूट घडते हैं और अपनी तरफ़ से बढ़ाकर बताते हैं।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 3587
قال الشيخ الألباني: - (إنّها لايُرمى بها لموت أحدٍ ولا لحياته؛ ولكن ربّنا تبارك وتعالى اسمه إذا قضى أمراً؛ سبّح حملت العرش، ثم سبّح أهل السماء الذين يلونهم،. حتى يبلغ التسبيح أهل هذه السماء الدنيا، ثم قال الذين يلون حملة العرش لحملة العرش: ماذا قال ربكم؟ فيخبرونهم ماذا قال، قال: فيستخبر بعض أهل السماوات بعضاً، حتى يبلغ الخبر هذه السماء الد نيا، فتخطف الجن السمع، فيقذفونّ إلى أوليائهم، ويرمون به، فما جاؤوا به على وجهه؛ فهو حق، ولكنّهم يقرفون فيه ويزيدون) . _____________________ رواه مسلم (7/36) من طريق إبراهيم بن سعد عن صالح عن ابن شهاب عن __________جزء : 7 /صفحہ : 1564__________ علي بن حسين أن عبد الله بن عباس قال: أخبرني رجل من أصحاب النبي - صلى الله عليه وسلم - من الأنصار: أنهم بينما هم جلوس ليلة مع رسول الله - صلى الله عليه وسلم -؛ رمي بنجم، فاستنار، فقال لهم رسول الله - صلى الله عليه وسلم -: "ماذا كنتم تقولون في الجاهلية إذا رمي بمثل هذا؟ ". قالوا: الله ورسوله أعلم! كنا نقول: ولد الليلة رجل عظيم، ومات رجل عظيم، فقال رسول الله - صلى الله عليه وسلم -: "فإنها ... " فذكره. ورواه الترمذي (3224) ، والنسائي في "السّنن الكبرى " (11272) ، وعنه الطحاوي في "مشكل الآثار" (2334) ، وأحمد (1/218) ، والبيهقي في " الدلائل " (2/236- 237) وفي "الأسماء والصفات " (203- 204) ، وأبو نعيم في "الحلية" (3/143) من طرق عن الزهري به. وقد وقع في بعض هذه المصادر: عن رجال ... ، وهو رواية عند مسلم أيضاً، وهي بمعنى الرواية الأولى؛ بقوله فيها: "إنهم ... ". ورواه الترمذي (3224) ، وأحمد (1/218) ، والبيهقي في " الدلائل " (2/238) ، وعبد بن حميد (682) من طرق عن الزهري عن علي بن حسين عن ابن عباس قال: كان رسول الله - صلى الله عليه وسلم - ... به. قلت: والأسانيد كلها صحيحة؛ فسواء كان راويه ابن عباس عن النبي - صلى الله عليه وسلم -، أو ابن عباس عن صحابي آخر عنه - صلى الله عليه وسلم -، فالأمر واسع بحمد الله، والصحابة كلهم عدول مأمونون. وللحديث شاهد عن عائشة بنحوه مختصراً: رواه البخاري (5762 و 7561) ، ومسلم (7/ 36) ، وأحمد (6/87) . * __________جزء : 7 /صفحہ : 1565__________ ¤