-" من كانت الدنيا همه فرق الله عليه امره وجعل فقره بين عينيه ولم ياته من الدنيا إلا ما كتب له، ومن كانت الآخرة نيته جمع الله له امره وجعل غناه في قلبه واتته الدنيا وهي راغمة".-" من كانت الدنيا همه فرق الله عليه أمره وجعل فقره بين عينيه ولم يأته من الدنيا إلا ما كتب له، ومن كانت الآخرة نيته جمع الله له أمره وجعل غناه في قلبه وأتته الدنيا وهي راغمة".
سیدنا زید بن ثابت رضی اللہ عنہ سے مروی ہے کہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”جس آدمی کا رنج و غم دنیا ہی دنیا ہو، اللہ تعالیٰ اس پر اس کے معاملات کو منتشر کر دیتا ہے، اس کی فقیری و محتاجی کو اس کی آنکھوں کے درمیان رکھ دیتا ہے اور اسے دنیا سے بھی وہی کچھ ملتا ہے جو اس کے مقدر میں لکھا جا چکا ہے۔ (لیکن اس کے برعکس) جس آدمی کی فکر آخرت ہو، اللہ تعالیٰ اس کے امور کی شیرازہ بندی کر دیتا ہے، اس کے دل کو غنی کر دیتا ہے اور دنیا ذلیل ہو کر (اس کے مقدر کے مطابق) اس کے پاس پہنچ جاتی ہے۔“
हज़रत ज़ैद बिन साबित रज़ि अल्लाहु अन्ह से रिवायत है कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “जिस आदमी का रंज और ग़म दुनिया ही दुनिया हो, अल्लाह तआला उस पर उस के मामलों को बिखेर देता है, उस की ग़रीबी और मोहताजी को उस की आंखों के बीच रख देता है और उसे दुनिया से भी वही कुछ मिलता है जो उस के नसीब में लिखा जा चूका है। (लेकिन इस के विपरीत) जिस आदमी की चिंता आख़िरत हो, अल्लाह तआला उस के मआमलों का गठबंधन कर देता है, उस के दिल को धनी कर देता है और दुनिया रुस्वा हो कर (उस के नसीब के अनुसार) उस के पास पहुंच जाती है।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 950
قال الشيخ الألباني: - " من كانت الدنيا همه فرق الله عليه أمره وجعل فقره بين عينيه ولم يأته من الدنيا إلا ما كتب له، ومن كانت الآخرة نيته جمع الله له أمره وجعل غناه في قلبه وأتته الدنيا وهي راغمة ". _____________________ أخرجه ابن ماجه (2 / 524 - 525) وابن حبان (72) من طريق شعبة عن عمرو بن سليمان قال: سمعت عبد الرحمن بن أبان بن عثمان ابن عفان عن أبيه عن زيد بن ثابت مرفوعا. قلت: وهذا إسناد صحيح رجاله ثقات كما قال في " الزوائد ". ¤