-" إن المؤمن بكل خير، على كل حال، إن نفسه تخرج من بين جنبيه وهو يحمد الله عز وجل".-" إن المؤمن بكل خير، على كل حال، إن نفسه تخرج من بين جنبيه وهو يحمد الله عز وجل".
سیدنا عبداللہ بن عباس رضی اللہ عنہما کہتے ہیں کہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے اپنی بیٹی، جو عالم نزع میں مبتلا تھی، کو اٹھایا۔ اسے گود میں لیا اور پھر اپنے سینے سے لگا لیا، اتنے میں وہ فوت ہو گئی۔ ام ایمن رضی اللہ عنہا چیخ و پکار کرنے لگی۔ اسے کہا گیا کہ کیا تو آپ صلی اللہ علیہ وسلم کی موجودگی میں روتی ہے؟ وہ آپ صلی اللہ علیہ وسلم سے مخاطب ہو کر کہنے لگی: اے اللہ کے رسول! کیا میں آپ کو روتا ہوا نہیں دیکھ رہی؟ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے جواباً فرمایا:“”میں رو تو نہیں رہا، یہ تو محض رحمت (کی علامت) ہے، مومن ہر حال میں خیر پر ہوتا ہے، اس کا سانس اس کے پہلوؤں سے نکل رہا ہوتا ہے اور وہ اللہ تعالیٰ کی حمد بیان کر رہا ہوتا ہے۔“
हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ि अल्लाहु अन्हुमा कहते हैं कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपनी बेटी को उठाया जो नज़अ की हालत में थी। (यानि जब साँस उखड़ गई थी), उसे गोद में लिया और फिर अपने सिने से लगा लिया, इतने में वह मर गई। उम्म एमन रज़ि अल्लाहु अन्हा चीख़ और पुकार करने लगी। उस से कहा गया कि क्या तू आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सामने रोती है ? वह आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को देख कर कहने लगी, ऐ अल्लाह के रसूल क्या मैं आप को रोता हुआ नहीं देख रही ? आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जवाब में फ़रमाया !” “मैं रो तो नहीं रहा, यह तो केवल रहमत (की निशानी) है, मोमिन हर हाल में भलाई पर होता है, उस का साँस उस के पहलुओं से निकल रहा होता है और वह अल्लाह तआला की ताअरीफ़ कर रहा होता है।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 1632
قال الشيخ الألباني: - " إن المؤمن بكل خير، على كل حال، إن نفسه تخرج من بين جنبيه وهو يحمد الله عز وجل ". _____________________ أخرجه أحمد (1 / 273 - 274) : حدثنا أبو أحمد حدثنا سفيان عن عطاء بن السائب عن عكرمة عن ابن عباس قال: " أخذ النبي صلى الله عليه وسلم بنتا له تقضي، فاحتضنها فوضعها بن ثدييه، فماتت وهو بين ثدييه، فصاحت أم أيمن، فقيل: أتبكي عند رسول الله صلى الله عليه وسلم ؟ ! قالت: ألست أراك تبكي يا رسول الله؟ قال: لست أبكي، إنما هي رحمة، إن المؤمن..... ". قلت: وهذا إسناد صحيح، رجاله كلهم ثقات، فإن عطاء بن السائب وإن كان قد اختلط، فإن سفيانا - وهو الثوري - سمع منه قبل الاختلاط، وكأنه لهذا أخرج __________جزء : 4 /صفحہ : 173__________ الحديث الضياء المقدسي في " المختارة " (65 / 66 / 1) من طريق أحمد هذه. ومن طريق أخرى عنده (1 / 297) ، ورواه النسائي (1 / 261) والبزار (808 ) من طرق أخرى عن عطاء به. وله شاهد يرويه عبد العزيز بن محمد عن عمرو بن أبي عمرو عن سعيد بن أبي سعيد عن أبي هريرة قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم : رفعه: " إن المؤمن عند الله بمنزلة كل خير، يحمدني وأنا أنزع نفسه من بين جنبيه ". أخرجه أحمد (2 / 361) وكذا البزار في " مسنده " (رقم - 781) وقال الهيثمي: " إسناد حسن ". وهو كما قال. ولفظ أحمد: " قال الله عز وجل: إن المؤمن عندي بمنزلة ... ". وفي رواية له (2 / 341) : " إن الله عز وجل يقول: إن عبدي المؤمن عندي بمنزلة.... ". ¤