سیدنا ابن عباس رضی اللہ عنہما سے روایت ہے کہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے سیدنا معاذ رضی اللہ عنہ کو قاضی بنا کر یمن کی طرف بھیجا اور فرمایا: ”اے معاذ! تم وہاں کے لوگوں کو اس امر کے اقرار پر رغبت دلانا کہ اللہ کے سوا کوئی معبود نہیں اور یہ کہ میں اللہ کا رسول ہوں پس اگر وہ اس بات کو مان لیں تو انہیں بتا دینا کہ اللہ نے ہر رات اور دن میں پانچ نمازیں ان پر فرض کی ہیں پھر اگر وہ اس بات کو بھی مان لیں تو انہیں بتا دینا کہ اللہ نے ان پر ان کے مالوں میں صدقہ (زکوٰۃ) فرض کیا ہے جو ان کے مالداروں سے لیا جائے گا اور ان کے فقیروں میں تقسیم کر دیا جائے گا۔“
हज़रत इब्न अब्बास रज़ि अल्लाहु अन्हुमा से रिवायत है कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रत मआज़ रज़ि अल्लाहु अन्ह को क़ाज़ी बनाकर यमन की ओर भेजा और फ़रमाया ! “ऐ मआज़, तुम वहां के लोगों को इस हुक्म को स्वीकार करने के लिए कहना कि अल्लाह के सिवा कोई मअबूद नहीं और यह कि मैं अल्लाह का रसूल हूँ बस यदि वो इस बात को मानलें तो उन्हें बतादेना कि अल्लाह ने हर रात और दिन में पांच नमाज़ें उनपर फ़र्ज़ की हैं फिर यदि वो इस बात को भी मानलें तो उन्हें बता देना कि अल्लाह ने उनके मालों में सदक़ा (ज़कात) फ़र्ज़ की है जो उनके मालदारों से ली जाएगी और उनके ग़रीबों में बांटी जाएगी।”