سیدنا سعد بن ابی وقاص رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ ان کے بیٹے مصعب نے ان کے پہلو میں نماز پڑھی (مصعب) کہتے ہیں میں نے اپنی دونوں ہتھیلوں کو ملا لیا پھر ان دونوں کو اپنے گھٹنوں کے درمیان دبا لیا تو مجھے میرے والد نے منع کیا اور کہا کہ ہم اس طرح کرتے تھے تو ہمیں اس سے منع کر دیا گیا اور ہمیں حکم دیا گیا کہ ہم اپنے ہاتھ (رکوع میں) گھٹنوں پر رکھیں۔
हज़रत सअद बिन अबि वक़ास रज़ि अल्लाहु अन्ह से रिवायत है कि उनके बेटे मसअब ने उनके पहलु में नमाज़ पढ़ी (मसअब) कहते हैं मैं ने अपनी दोनों हथेलियों को मिला लिया फिर उन दोनों को अपने घुटनों के बीच दबा लिया तो मुझे मेरे पिता ने मना किया और कहा कि हम इस तरह करते थे तो हमें ऐसा करने से मना करदिया गया और हमें हुक्म दिया गया कि हम अपने हाथ (रुकू में) घुटनों पर रखें।